Hindi Poem of Anamika “Kuch to“ , “कुछ तो” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कुछ तो
Kuch to

 

कुछ तो हो!
कोई पत्ता तो कहीं डोले
कोई तो बात होनी चाहिए अब जिन्दगी में
बोलने मैं समझने – जैसी कोई बात ,
चलने में पहुँचने – जैसी
करने में हो जाने – जैसी कोई तरंग

या मौला, क्या हो रहा है यह
ओंठ चल रहे हैं लगातार
शब्द से अर्थ खेलते हैं कुट्टी-कुट्टी
पर बात कहीं भी नहीं पहुँच पाती.

जो देखो वो है सवार
कोई किसी के कंधे पर
कोई ऐन आपके ही सिर
सब हैं सवार
सब जा रहे हैं कहीं न कहीं
कहीं बिना पहुंचे हुए!

जैसे कि ज़ार निकोलाई ने
ज़ारी किया हो कोई फरमान.

जो भी किसान दे नहीं पाए हैं लगान
जाएँ वहां न जाने कहाँ
लायें उसे न जाने किसे.

क्या लाने निकले थे घर से हम भूल गए
कुट्टी-कुट्टी खेलते से मिले हमको
मिट्टी से पेटेंटिड बीज!
वहीँ कहीं मिट्टी में
मिट्टी-मिट्टी से हुए सब अरमान

होरियों ने गोदान के पहले
कर दिया आत्मदान
आत्महत्या एक हत्या ही थी
धारावाहिक!.

सुदूर पश्चिम से चल रहे थे अग्नि बाण:
ईश्वर-से अदृश्य
हर जगह है ट्रैफिक जैम
सड़कों से टूट गया है
अपने सारे ठिकानों का वास्ता.

सदियों से बिलकुल खराब पड़े.
घर के बुज़ुर्ग लैंडलाइन की तरह.
हम भी दे देते हैं गलत-सलत सिग्नल.

कोई भी नंबर लगाए
कहीं दूर से
तो आते हैं हमसे
सर्वदा ही व्यस्त होने के
कातर और झूठे संदेशे!

काहे की व्यस्तता!
कुछ तो नहीं होता
पर रिसीवर ऑफ हो

या कि टूट गया हो बिज़ी कनेक्शन
सार्वजानिक बक्से से
तो ऐसा होता है, है न
लगातार आते हैं व्यस्त होने के गलत सिग्नल

कुछ तो हो!
कोई पत्ता तो कहीं डोले!
कोई तो बात होनी चाहिए जिन्दगी में अब!

बोलने में समझने- जैसे कोई बात!
चलने में पहुँचने- जैसी
करने में कुछ हो जाने -जैसी तरंग!

 

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