Hindi Poem of Anamika “Namak“ , “नमक ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

नमक
Namak

 

नमक दुःख है धरती का और उसका स्वाद भी!
पृथ्वी का तीन भाग नमकीन पानी है
और आदमी का दिल नमक का पहाड़
कमज़ोर है दिल नमक का
कितनी जल्दी पसीज जाता है!

गड़ जाता है शर्म से
जब फेंकी जाती हैं थालियाँ
दाल में नमक कम या ज़रा तेज़ होने पर!

वो जो खड़े हैं न
सरकारी दफ्तर
शाही नमकदान हैं

बड़ी नफासत से छिड़क देते हैं हरदम
हमारे जले पर नमक!

जिनके चेहरे पर नमक है
पूछिए उन औरतों से
कितना भारी पड़ता है उनको
उनके चेहरे का नमक!

जिन्हें नमक की कीमत करनी होती है अदा
उन नमकहलालों से
रंज रखता है महासागर!

दुनिया में होने न दीं उन्होंने क्रांतियाँ,
रहम खा गए दुश्मनों पर!

गाँधी जी जानते थे नमक की कीमत
और अमरूदों वाली मुनिया भी!

दुनिया में कुछ और रहे-न-रहे
रहेगा नमक-
ईश्वर के आंसू और आदमी का पसीना
ये ही वो नमक है जिससे
थिराई रहेगी ये दुनिया.

 

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