Hindi Poem of Anamika “Odhani“ , “ओढ़नी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

ओढ़नी
Odhani

 

मैट्रिक के इम्तिहान के बाद
सीखी थी दुल्हन ने फुलकारी!
दहेज की चादरों पर
माँ ने कढ़वाये थे

तरह-तरह के बेल-बूटे,
तकिए के खोलों पर ‘गुडलक’ कढ़वाया था!
कौन माँ नहीं जानती, जी, ज़रूरत
दुनिया में ‘गुडलक’ की!

और उसके बाद?
एक था राजा, एक थी रानी
और एक थी ओढ़नी-
लाल ओढ़नी फूलदार!

और उसके बाद?
एक था राजा, एक थी रानी
और एक ख़तम कहानी!
दुल्हन की कटी-फटी पेशानी
और ओढ़नी ख़ूनम-ख़ून!

अपने वजूद की माटी से
धोती थी रोज इसे दुल्हन
और गोदी में बिछा कर सुखाती थी
सोचती सी यह चुपचाप

तार-तार इस ओढ़नी से
क्या वह कभी पोंछ पाएगी
खूंखार चेहरों की खूंखारिता
और मैल दिलों का?

घर का न घाट का
उसका दुपट्टा
लहराता था आसमानों पर
‘गगन में गैब निसान उडै़’ की धुन पर
आहिस्ता-आहिस्ता!

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