Hindi Poem of Anamika “Sai asvar ke pare“ , “सांई अवसर के परे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सांई अवसर के परे
Sai asvar ke pare

 

सांई अवसर के परे, को न सहै दु:ख द्वंद।
जाय बिकाने डोम घर, वै राजा हरिचंद॥

वै राजा हरिचंद, करैं मरघट रखवारी।
धरे तपस्वी वेष, फिरै अर्जुन बलधारी॥

कह ‘गिरिधर कविराय, तपै वह भीम रसोई।
को न करै घटि काम, परे अवसर के साई॥

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