विस्फोट
Visphot
तड़ी पार शब्दों में
बनते हैं गीत,
इसलिए पुकार के लिए अच्छे हैं
चिड़िया ने चिड़े से कहा
विस्फोट के ऐन एक मिनिट पहले.
विस्फोट के ऐन एक मिनिट पहले
किसी ने वादा किया था
जिन्दगी का पहला वादा
घास की सादगी और हृदय की पूरी सच्चाई से.
खायी थीं साथ-साथ जीने-मरने की कसमें!
विस्फोट के ऐन एक मिनिट पहले
किसी ने चूमा था नवजात का माथा!
कोई खूंखार पत्नी की नज़रें मिलाकर
बैठा था बीमार माँ के सिरहाने,
कोई कटखने बाप से छुपाकर
लाई थी पिटे हुए बच्चों का खाना
विस्फोट के ऐन एक मिनिट पहले.
किसी को नौकरी मिली थी
सदियों के इंतज़ार के बाद
विस्फोट के ऐन एक मिनिट पहले.
अभी-अभी कोई सत्यकाम
जीता था सर्वोच्च न्यायालय से
लोकहित का कोई मुकद्दमा
तीस बरस में अनुपम धीरज के बाद!
घिस गई थी निब -कलम भी,
कलम जो किताबें लिख सकती थीं,
लगातार लिखती रही थीं रिट-पिटीशन.
घिस गए थे जूतों के तल्ले
धंस गए थे गाल!
किला फतह करके वह निकला ही था कचहरी से
दोस्तों को बतायेगा
जीत गए थे सारे सत्यमेव- जयते
पहला ही नंबर घुमाया था
विस्फोट के ऐन एक मिनिट पहले.
अहिंसा परमो धर्म: गाती थी बिल्ली
अस्सी चूहे खाकर हज को जाती.
अहिंसा परमो धर्म:
बगुला कहता था मछली से,
परमाणु बम कहता था नागासाकी से
विस्फोट के ऐन एक मिनिट पहले!
क्या ईश्वर है अहिंसा?
डुगडुगी बजती रहती है
बस उसके नाम की
पर वह दिखाई नहीं देती!
मंदिर के ऊंचे कंगूरे ने
मस्जिद की गुम्बद से पूछा
सहम के
विस्फोट के ऐन एक मिनिट पहले.
खुद क्या मैं कम ऐसी-वैसी हूँ?
मेरा सत्यानाश हो,
मैं ही कीकर हूँ, चिड़िया, नदी और पर्वत,
बिच्छू और मंजरी-समेत
एक धरती हूँ पूरी-की-पूरी,
मैं ही हूँ धरती की जिद्दी धमक
‘क्यों-कैसे-‘हाँ-ना’ से पूरी हुई रस्सी!
और मुई रस्सी के बारे में कौन नहीं जानता
रस्सी जो जल भी गई तो
बलखाना नहीं छोडती!