Hindi Poem of Anjana Bhatt “  Ruko baba“ , “कौन यहाँ आया था” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

रुको बाबा

 Ruko baba

 

जख़्म अभी हरे हैं अम्मा

मत कुरेदो इन्हें

पक जाने दो

लल्ली के बापू की कच्ची दारू

जैसे पक जाया करती है भट्टी में।

दाग़ अभी गहरे हैं बाबा

मत कुरेदो

इन्हें सूख जाने दो

रामकली के जूड़े में

लगे फूल की तरह।

जख़्म अभी गहरे हैं बाबा

छिपकली की कटी पूंछ की तरह

हो जाने दो कई-कई

रंगों में परिवर्तित।

क्षणभर तो रुको बाबा

झाँक लूँ अपने ही भीतर

बिछा लूँ

गुलाबी चादर से सज़ा बिस्तर

लगा लूँ सुर्ख़ गुलाब-सा तकिया

और रख लूँ

सिरहाने पानी की सुराही

और मद्धिम-मद्धिम आँच

पर जलती सुर्ख़

अंगीठी।

 

 

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