Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “  Bodhisattav “ , “बोधिसत्त्व” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बोधिसत्त्व

 Bodhisattav

 

आप वहाँ हैं

यद्यपि मैं

व्यक्त नहीं कर सकता

किन्तु

देख रहा हूँ

अब मैं आपको

अधिक स्पष्ट

आप ही हैं

प्रथम दृष्टा

आप ही हैं

जिनके हृदय ने

महसूस किया

हमारी प्रारम्भिकी का

स्पंदन

आप ही हैं

जिन्होंने गाया

अभी तक

गाये गये गीतों में

प्रथम गीत

आपका गीत

गूँज रहा है

अब भी

आपके मधुर शब्द

कर रहे हैं नृत्य

हमारी आत्माओं के

होठों पर

कोई भी शब्द

नहीं दे सकता

मैं अपने हृदय को

क्या समझ सकेगा

नश्वर शरीर!

क्योंकि  

वे जुड़े हैं

हमारी आत्मा से

दोनों निमित्त हैं

परम शक्ति के

वर्षों तक

बैठा हूँ मैं

अपने उपवन में

जीवन का संगीत

सुनने के लिए

आपकी आत्मा को

गाते हुए

 

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