Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “  Dhoop Angne aayi “ , “धूप आँगने आई” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

धूप आँगने आई

 Dhoop Angne aayi

 

मन में

जाने कब से

चाह रहा था

खुलना-खिलना

अपने ढब से

दी झनकार सुनाई

खुलीं खिड़कियाँ

दरवाज़े

जागे परकोटे

चिड़ियाँ छोटीं

तोते मोटे

मिलकर लोटे

दृश्य लगे सुखदाई

महकीं गलियाँ

चहकीं सड़कें

गाजे-बाजे

लोग घरों से

आये बाहर

बनकर राजे

गूँजी फिर शहनाई

 

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