Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “  Ek Jaldhara se samvad “ , “एक जलधारा से संवाद” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

एक जलधारा से संवाद

 Ek Jaldhara se samvad

 

जैसे

मैं यहाँ बैठा हूँ

आपके समीप

देख सकता हूँ मैं

वह सब कुछ

जो प्रकट हुआ है

यहाँ पर

हमारी उपस्थिति के परिणामस्वरूप

मैंने हर बसंत को

देखा है

जलतरंगों को

आपके जलाशय में

लहराते हुए

ऊपर-नीचे

सरपत

डाल रहा है अपनी परछाईं

आपके तट के

छिछले पानी पर

लोमड़ी और खरगोश

आते हैं पास आपके

बुझाने अपनी प्यास

प्रतिदिन

जैसे कि

शीत ऋतु देती है

आपको

गलने वाली ताज़ी वर्फ

क्या मैं नहीं दूंगा

प्रतिदान

जो कुछ प्राप्त हुआ है मुझे

बरसों-बरस आपसे

इसीलिए आप और मैं

बहते रहेंगे

वहां तक

जहाँ तक करेगी अनुसरण हमारा

हमारी युवा पीढ़ी

शायद हम जायेंगे

वापस

किसी विशाल समुद्र के

अंजान गर्भ तक

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