Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “  Ek vicharniya kshan “ , “एक विचारणीय क्षण” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

एक विचारणीय क्षण

 Ek vicharniya kshan

 

निर्जन बागीचे के एकांत कोने में

विचार करता हुआ कि

कितनी बार किया है मैंने प्रयास

इन्द्रधनुष को पकड़ने का

तब तक

जब तक कि घेरे रहे मुझे

आस्ट्रेलियाई प्रजाति के सुन्दर तोते

और तितलियाँ

अरे! याद आता है

वह समय

जब बैठा था मैं

नदी के किनारे

अंजान होकर

कि मेरे ही समीप

वह बह रही है

अपनी डगर पर

किसी सुन्दर स्थान की ओर

काश! मैं जान पाता

जब मैं वहां बैठा हुआ था

क्या मैंने कभी प्रयास किया

उसे थामने का

अब नीरवता में

बैठा हूँ मैं

बागीचे के इस कोने में

जानता हूँ

जो कुछ भी वहाँ था

उसका अपना अर्थ था

और जो होना है

समय आने पर होगा ही

तितलियाँ, तोते, नदी और मैं

सभी बढ़ते रहेंगे

विशालतम की ओर

और ‘मैं’ ही हूँ

तितली, तोता और नदी

जैसे कि

तितली, तोता और नदी है ‘मैं’

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