Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “  Esa var de “ , “ऐसा वर दे!” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

ऐसा वर दे!

 Esa var de

 

अनगढ़ वाणी को

हे स्वरदेवी, अपना स्वर दे!

भीतर-बाहर

घना अँधेरा

दूर-दूर तक नहीं सबेरा

दिशाहीन है

मेरा जीवन

ममतामयी, उजाला भर दे!

मानवता की

पढूँ ऋचाएँ

तभी रचूँ नूतन कविताएँ

एकनिष्ठ मन

रहे सदा माँ,

आशीषों का कर सिर धर दे!

अपने को

पहचानें-जानें

‘सत्यम्‌ शिवम्‌ सुन्दरम्‌’ मानें

जागृत हो

मम प्रज्ञा पावन

हंसवाहिनी, ऐसा वर दे!

 

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