Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “  Hua Pravasi “ , “हुआ प्रवासी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हुआ प्रवासी

 Hua Pravasi

 

गंगावासी

अब

कितना घर का, गाँव का

कॉलेज टॉप

किया ज्यों ही

वह गया गाँव से अमरीका

जाते ही तब

छूट गया सब-

आँचल, राखी, रोली-टीका

बिना आसरे

घर

बूढा बापू

कभी धूप का, छाँव का!

अंतिम सांस

भरी बापू ने

क्रिया-करम को पैसा आया

घर-घर चर्चा

हुई गाँव में –

क्या खोया, क्या किसने पाया?

समय जुआरी

बैठा है

फड़ पर

सब कुछ उसके दाँव का!

दाम कमाया

नाम कमाया

बड़े दिनों से गाँव न आया

भीतर-बाहर

खोज रही माँ

अपनों में अपनों की छाया

क्या दूर बहुत

अब

हुआ रास्ता

अमरीका से गांव का?

 

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