Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “ Hum Banjare “ , “हम बंजारे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हम बंजारे

 Hum Banjare

 

मारे-मारे

फिरते-रहते

गली-गली

जलती भट्ठी

तपता लोहा

नए रंग ने

है मन मोहा

चाहें जैसा

मोड़ें वैसा

धरे निहाई

अली-बली

नए-नए-

औज़ार बनाएँ

नाविक के

पतवार बनाएँ

रही कठौती

अपनी फूटी

खा भी लेते

भुनी-जली

राहगीर मिल

ताने कसते

हम हैं फिर भी

रहते हंसते

अभी आपका

समय सुनहरा

जो सुन लेते

बुरी-भली

 

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