Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “ Kab Tak? “ , “कब तक?” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कब तक?

 Kab Tak?

 

कपटी शकुनी से

हार वरूँ  मैं कब तक?

कहो, तात-

विपरीत तटों का

सेतु बनूँ मैं कब तक?

इनका-उनका

बोझा-बस्ता

पीठ धरूँ मैं कब तक? 

बड़े-बड़े

ज़ालिम पिंडों की

चोट सहूँ मैं कब तक?

पाँव फँसाए

गहरे पानी

खड़ा रहूँ मैं कब  तक?

नीली होकर

उधड़ी चमड़ी

धार गहूँ मैं कब तक?

कोई तो

बतलाए आकर

यहाँ रहूँ मैं कब तक?

रोआँ-रोआँ

हाड़ कँपाती

शीत सहूँ मैं कब तक?

बिजली, ओलों,

बारिश वाली

रात सहूँ मैं कब तक?

बहुत हुआ,

अब और न होगा

धीर धरूँ मैं कब तक?

 

 

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