Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “  Panch Ganv ka “ , “पंच गाँव का” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

पंच गाँव का

 Panch Ganv ka

 

झूम चाल है

लगते कुछ बेढंगे

इज्जत इनसे दूर

कि इनकी

जेबों में हैं दंगे

दबंगई की दाढ़

लगी है

कैसी आदमखोरी

सूंघ रहे गस्ती में कुत्ते

लागर की कमजोरी

इनकी चालों में

फँस जाते

अच्छे-अच्छे चंगे

गिरवी पर

गोबर्धन का श्रम

है दरियादिल मुखिया

पत्थर-सी रोटी के नीचे

दबी हुई है बिछिया

न्याय स्वयं

बिकने आता है

बेदम-से हैं पंगे

पंच गाँव का

खुश है लेकिन

हाथ तराजू डोले

लगता जैसे एक-

अनिर्णय की भाषा में बोले

उतर चुका दर्पण का

पारा

सम्मुख दिखते नंगे

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