Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “  Samay aa gya “ , “समय आ गया” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

समय आ गया

 Samay aa gya

 

उभरी साँटें

बहुत दर्द है गुड़ने का

पैनी धारों वाले

मंजे

छुप बैठे डोर-पतंगो में

उड़ता हुआ

और को देखा

जा काटा उनको जंगों में

हो स्वच्छंद

करें मनमानी

मन सिंहासन चढ़ने का

ख़ैर नहीं

कच्चे धागों की

जिनकी नाज़ुक उधड़ी लड़ियाँ

कटरीले झुरमुट में

फँसकर

टूट रही हैं जिनकी कड़ियाँ

बहुत बिखरना हुआ

आज तक

आया मौक़ा जुड़ने का

अवरोधों से

टकराने का

जो ज़ज्बा रहता था मन में

चुप्पी मारे

क्यों बैठा है

जाके किसी अजाने वन में

किसी तरह

उकसाओ इसको

समय आ गया भिड़ने का!

 

 

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