Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “  Shram ki mandi “ , “श्रम की मंडी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

श्रम की मंडी

 Shram ki mandi

 

ढीला कालू

मुट्ठी- झरती बालू

तीन दिनों से

आटा गीला

हुआ भूख से

बच्चा पीला

जो भी देखे

घूरे ऐसे

ज्यों शिकार को भालू

श्रम की मंडी

खड़ा कमेसुर

बहुत जल्द

बिकने को आतुर

भाव

मजूरी का गिरते ही

पास आ गए लालू

बीन कमेसुर

रहा लकड़ियाँ

बाट जोहती

होगी मइया

भूने जाएंगे

अलाव में

नई फसल के आलू

 

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