Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “  Vigyapan ki chakachondh“ , “विज्ञापन की चकाचौंध” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

विज्ञापन की चकाचौंध

 Vigyapan ki chakachondh

 

कहता कोई

विज्ञापन के पर्चों से

हम जिसका निर्माण करेंगे

तेरी वही जरूरत होगी

जस-जस सुरसा बदनु बढ़ावा

तस-तस कपि की मूरत होगी

भस उड़ती हो

आँख भरी हो

लेकिन डर मत मिर्चों से

हमें न मंहगाई की चिंता

नहीं कि तुम हो भूखे-प्यासे

तुमको मतलब है चीजों से

मतलब हमको है पैसा से

पूरी तुम बाज़ार उठा लो

उबर न पाओ खर्चों से

बेटा, बेटी औ’ पत्नी की

मांगों की आपूर्ति करोगे

चकाचोंध से विज्ञापन की

तुम सब आपस में झगड़ोगे

कार पड़ोसी के घर आई

बच न सकोगे चर्चों से

 

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