Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “  Vigyapan“ , “विज्ञापन” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

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 Vigyapan

 

लोग यहाँ पर

विज्ञापन की गोली

एक मिनट में

दिख जाती है

दुनिया कितनी गोल

तय होता है

कहाँ -कहाँ कब

किसका कितना मोल

जाने कितने

करतब करती

विज्ञापन की टोली

चाहे या

ना चाहे कोई

मन में चाह जगाती

और रास्ता

मोड़-माड़ कर

घर अपने ले जाती

विज्ञापन की

अदा निराली-

बन जाती हमजोली

ज्ञानी अपना

ज्ञान भूलकर

मूरख बन ही जाता

मूरख तो

मूरख ही ठहरा

कहाँ कभी बच पता

सबके काँधे

धरी हुई है

विज्ञापन की डोली

 

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