Hindi Poem of Ashok Anjum “  Goli ki meharbani”,”गोली की मेहरबानी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गोली की मेहरबानी

 Goli ki meharbani

 

गोली की मेहरबानी कुछ बम की मेहरबानी

फ़ाक़े हुए कईं दिन से मातम की मेहरबानी

कलियाँ भी अब उगलने चिंगारियाँ लगी हैं

दहशत है गुलसितां में सिस्टम की मेहरबानी

तिकड़म कईं भिड़ा कर भी हो रहे विफल थे

ठेका मिला जो उन को ये रम की मेहरबानी

जो घाव था ज़रा-सा नासूर बन गया है

जो तुमने दिया था उस मरहम की मेहरबानी

कोठी से चल के गोरी कोठे पे आ गई है

दिल जिस को दिया था उस बालम की मेहरबानी

कैसी गरम हवा है पकने लगे हैं बच्चे

गुम हो रहा है बचपन मौसम की मेहरबानी

 

 

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