हर एक राज़ कह दिया बस एक जवाब ने
Har ek Raz kah diya bas ek jwab ne
हर एक राज़ कह दिया बस एक जवाब ने
हमको सिखाया वक़्त ने, तुमको किताब ने
इस दिल में बहुत देर तलक सनसनी रही
पन्ने यूँ खोले याद के, सूखे गुलाब ने
ये खुरदुरी ज़मीन अधिक खुरदुरी लगी
उलझा दिया कुछ इस तरह जन्नत के खाब ने
हालत ने हर रंग को बदरंग कर दिया
सोंपे थे जो भी रंग हमें आफताब ने
दो झील, एक चाँद, खिले फूल, तितलियाँ
क्या-क्या छुपा रखा था तुम्हारे नकाब ने