प्रेम की, सचाई की, बोलियाँ ही गायब हैं
Prem ki sachai ki boliya hi gayab he
प्रेम की सच्चाई की बोलियां ही गायब हैं
आदमी के अंदर से बिजलियां ही गायब हैं
साबजी पधारे थे सैर को गुलिस्तां की
तब से इस चमन की सब तितलियां ही गायब हैं
हाथ क्या मिलाया था दिल ही दे दिया था उन्हें
हाथ अपने देखे तो उंगलियां ही गायब हैं
यूं ही गर्भ पे जो चली आपकी ये मनमानी
कल जहां से देखोगे ल़डकियां ही गायब हैं
वे भले प़डोसी थे, आए थे नहाने को
बाथरूम की तब से टौंटियां ही गायब हैं
चीर को हरण कैसे अब करोगे दुशासन
जींस में हैं पांचाली, सा़डयां ही गायब हैं
होटलों में खाते हैं वे चिकिनओबिरयानी
और कितने हाथों से रोटियां ही गायब हैं।