Hindi Poem of Ashok Chakradhar “Chal di ji chal di, “चल दी जी, चल दी – (सो तो है) ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

चल दी जी, चल दी – (सो तो है) – अशोक चक्रधर

Chal di ji chal di -Ashok Chakradhar

 

मैंने कहा
चलो
उसने कहा
ना
मैंने कहा
तुम्हारे लिए खरीदभर बाज़ार है
उसने कहा
बन्द
मैंने पूछा
क्यों
उसने कहा
मन
मैंने कहा
न लगने की क्या बात है
उअसने कहा
बातें करेंगे यहीं
मैंने कहा
नहीं, चलो कहीं
झुंझलाई
क्या-आ है ?
मैनें कहा
कुर्ता ख़रीदना है अपने लिए ।
चल दी जी, चल दी
वो ख़ुशी-ख़ुशी जल्दी ।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.