चेतन जड़ – (सो तो है) – अशोक चक्रधर
Chetn Jad -Ashok Chakradhar
प्यास कुछ और बढ़ी
और बढ़ी ।
बेल कुछ और चढ़ी
और चढ़ी ।
प्यास बढ़ती ही गई,
बेल चढ़ती ही गई ।
कहाँ तक जाओगी बेलरानी
पानी ऊपर कहाँ है ?
जड़ से आवाज़ आई–
यहाँ है, यहाँ है ।
चेतन जड़ – (सो तो है) – अशोक चक्रधर
Chetn Jad -Ashok Chakradhar
प्यास कुछ और बढ़ी
और बढ़ी ।
बेल कुछ और चढ़ी
और चढ़ी ।
प्यास बढ़ती ही गई,
बेल चढ़ती ही गई ।
कहाँ तक जाओगी बेलरानी
पानी ऊपर कहाँ है ?
जड़ से आवाज़ आई–
यहाँ है, यहाँ है ।