नख़रेदार – (सो तो है) – अशोक चक्रधर
Nakhredar -Ashok Chakradhar
भूख लगी है
चलो, कहीं कुछ खाएं ।
देखता रहा उसको
खाते हुए लगती है कैसी,
देखती रही मुझको
खाते हुए लगता हूँ कैसा ।
नख़रेदार पानी पिया
नख़रेदार सिगरेट
ढाई घंटे बैठ वहाँ
बाहर निकल आए ।