Hindi Poem of Ashok Chakradhar “Nakhredar, “नख़रेदार – (सो तो है)” Complete Poem for Class 10 and Class 12

नख़रेदार – (सो तो है) – अशोक चक्रधर

Nakhredar -Ashok Chakradhar

 

भूख लगी है
चलो, कहीं कुछ खाएं ।

देखता रहा उसको
खाते हुए लगती है कैसी,

देखती रही मुझको
खाते हुए लगता हूँ कैसा ।

नख़रेदार पानी पिया
नख़रेदार सिगरेट
ढाई घंटे बैठ वहाँ
बाहर निकल आए ।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.