Hindi Poem of Ashok Vajpayee “  Pathhara Vaktavya ”,”पथहारा वक्तव्य” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

पथहारा वक्तव्य

 Pathhara Vaktavya

 

हमें पता था

कि खाली हाथ और टूटे हथियार लिए

शिविर में लौटना होगा:

यह भी कि हम जैसे लोग

कभी जीत नहीं पाए-

वे या तो हारते हैं

या खेत रहते हैं-

हम सिर्फ बचे हुए हैं

इस शर्म से कि हमने चुप्पी नहीं साधी,

कि हमने मोर्चा सम्हालने से पहले या हारने के बाद

न तो समर्पण किया, न समझौता:

हम लड़े, हारे और बचे भर हैं!

यह कोई वीरगाथा नहीं है:

इतिहास विजय की कथाएं कहता है,

उसमें प्रतिरोध और पराजय के लिए जगह नहीं होती।

लोग हमारी मूढ़ता पर हंसते हैं-

हमेशा की तरह

वे विजेताओं के जुलूस में

उत्साह से शामिल हैं-

हम भी इस भ्रम से मुक्त होने की कोशिश में हैं

कि हमने अलग से कोई साहस दिखाया:

हम तो कविता और अंत:करण के पाले में रहे

जो आदिकाल से युद्धरत हैं, रहेंगे!

हम पथहारे हैं

पर पथ हमसे कहीं आगे जाता है।

 

 

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