Hindi Poem of Ashok Vajpayee “  Vah nahi kahti”,”वह नहीं कहती” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

वह नहीं कहती

 Vah nahi kahti

 

उसने कहा

उसके पास एक छोटा सा हृदय है

जैसे धूप कहे

उसके पास थोड़ी सी रौशनी है

आग कहे

उसके पास थोड़ी सी गरमाहट—

धूप नहीं कहती उसके पास अंतरिक्ष है

आग नहीं कहती उसके पास लपटें

वह नहीं कहती उसके पास देह ।

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.