Hindi Poem of Atal Bihari Vajpayee “Jeevan Ki Dhalne lagi Sanjh , “जीवन की ढलने लगी साँझ ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

जीवन की ढलने लगी साँझ -अटल बिहारी वाजपेयी

Jeevan Ki Dhalne lagi Sanjh – Atal Bihari Vajpayee

 

जीवन की ढलने लगी सांझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन की ढलने लगी सांझ।

बदले हैं अर्थ
शब्द हुए व्यर्थ
शान्ति बिना खुशियाँ हैं बांझ।

सपनों में मीत
बिखरा संगीत
ठिठक रहे पांव और झिझक रही झांझ।
जीवन की ढलने लगी सांझ।

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