Hindi Poem of Ayodhya Prasad Upadhyay “Hariaudh” “Ek Tinka , “एक तिनका ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

एक तिनका – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

Ek Tinka – Ayodhya Prasad Upadhyay “Hariaudh”

 

मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ।
एक दिन जब था मुँडेरे पर खड़ा।
आ अचानक दूर से उड़ता हुआ।
एक तिनका आँख में मेरी पड़ा।1।

मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन सा।
लाल होकर आँख भी दुखने लगी।
मूँठ देने लोग कपड़े की लगे।
ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी।2।

जब किसी ढब से निकल तिनका गया।
तब ‘समझ’ ने यों मुझे ताने दिये।
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा।
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।

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