Hindi Poem of Balswaroop Rahi “  kataat ”,”क़तआत” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

क़तआत

 kataat

 

जानता हूँ कि ग़ैर हैं सपने

और खुशियाँ भी ये अधूरी हैं

किंतु जीवन गुज़ारने के लिए

कुछ ग़लत फ़ेहमियाँ ज़रूरी हैं

हसरतों की ज़हर बुझी लौ में

मोम-सा दिल गला दिया मैंने

कौन बिजली की धमकियाँ सहता

आशियाँ ख़ुद जला दिया मैंने

दर्द के हाथ बिक गई ख़ुशियाँ

और हम बेच कर बहुत रोए

जैसे कोई दीया बुझा तो दे

किंतु फिर रात भर नहीं सोए

कल मिले या न मिले प्यार गवाही के लिए

कल उठे या न उठे हाथ सुराही के लिए

आज की शाम को रंगीन बना लो इतना

कोई कोना न बचे रात की स्याही के लिए

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.