Hindi Poem of Bashir Badra “Aansuo ki jaha payamali rahi”,”आँसुओं की जहाँ पायमाली रही” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आँसुओं की जहाँ पायमाली रही

 Aansuo ki jaha payamali rahi

आँसुओं की जहाँ पायमाली रही

ऐसी बस्ती चराग़ों से ख़ाली रही

दुश्मनों की तरह उस से लड़ते रहे

अपनी चाहत भी कितनी निराली रही

जब कभी भी तुम्हारा ख़याल आ गया

फिर कई रोज़ तक बेख़याली रही

लब तरसते रहे इक हँसी के लिये

मेरी कश्ती मुसाफ़िर से ख़ाली रही

चाँद तारे सभी हम-सफ़र थे मगर

ज़िन्दगी रात थी रात काली रही

मेरे सीने पे ख़ुशबू ने सर रख दिया

मेरी बाँहों में फूलों की डाली रही

 

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