Hindi Poem of Bashir Badra “Bhigi hui aankho ka ye manzar na milega”,”भीगी हुई आँखों का ये मन्ज़र न मिलेगा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

भीगी हुई आँखों का ये मन्ज़र न मिलेगा

 Bhigi hui aankho ka ye manzar na milega

भीगी हुई आँखों का ये मंज़र न मिलेगा

घर छोड़ के मत जाओ कहीं घर न मिलेगा

फिर याद बहुत आयेगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम

जब धूप में साया कोई सर पर न मिलेगा

आँसू को कभी ओस का क़तरा न समझना

ऐसा तुम्हें चाहत का समुंदर न मिलेगा

इस ख़्वाब के माहौल में बे-ख़्वाब हैं आँखें

बाज़ार में ऐसा कोई ज़ेवर न मिलेगा

ये सोच लो अब आख़िरी साया है मुहब्बत

इस दर से उठोगे तो कोई दर न मिलेगा

 

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