Hindi Poem of Bashir Badra “ Gazalo ka hunar apni aankho ko sikhayenge”,”ग़ज़लों का हुनर अपनी आँखों को सिखाएंगे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

ग़ज़लों का हुनर अपनी आँखों को सिखाएंगे

 Gazalo ka hunar apni aankho ko sikhayenge

ग़ज़लों का हुनर अपनी आँखों को सिखाएंगे

रोयेंगे बहुत लेकिन आंसू नहीं आयेंगे

कह देना समंदर से हम ओस के मोती है

दरया कि तरह तुझ से मिलने नहीं आयेंगे

वो धुप के छप्पर हों या छाओं कि दीवारें

अब जो भी उठाएंगे मिल जुल के उठाएंगे

जब साथ न दे कोई आवाज़ हमे देना

हम फूल सही लेकिन पत्थर भी उठाएंगे

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.