Hindi Poem of Bashir Badra “Kabhi to aasma se chand utare jam ho jaye”,”कभी तो आसमाँ से चांद उतरे जाम हो जाये” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कभी तो आसमाँ से चांद उतरे जाम हो जाये

 Kabhi to aasma se chand utare jam ho jaye

कभी तो आसमाँ से चांद उतरे जाम हो जाये

तुम्हारे नाम की इक ख़ूबसूरत शाम हो जाये

हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाये

चराग़ों की तरह आँखें जलें जब शाम हो जाये

अजब हालात थे यूँ दिल का सौदा हो गया आख़िर

मोहब्बत की हवेली जिस तरह नीलाम हो जाये

समंदर के सफ़र में इस तरह आवाज़ दो हमको

हवाएँ तेज़ हों और कश्तियों में शाम हो जाये

मैं ख़ुद भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ

कोई मासूम क्यों मेरे लिये बदनाम हो जाये

मुझे मालूम है उस का ठिकाना फिर कहाँ होगा

परिंदा आसमाँ छूने में जब नाकाम हो जाये

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो

न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाये

 

 

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