Hindi Poem of Bashir Badra “Khuda hum ko esi khudai na de”,”ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे

 Khuda hum ko esi khudai na de

ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे

कि अपने सिवा कुछ दिखाई न दे

ख़तावार समझेगी दुनिया तुझे

अब इतनी भी ज़्यादा सफ़ाई न दे

हँसो आज इतना कि इस शोर में

सदा सिसकियों की सुनाई न दे

अभी तो बदन में लहू है बहुत

कलम छीन ले रोशनाई न दे

मुझे अपनी चादर से यूँ ढाँप लो

ज़मीं आसमाँ कुछ दिखाई न दे

ग़ुलामी को बरकत समझने लगें

असीरों को ऐसी रिहाई न दे

मुझे ऐसी जन्नत नहीं चाहिए

जहाँ से मदीना दिखाई न दे

मैं अश्कों से नाम-ए-मुहम्मद लिखूँ

क़लम छीन ले रोशनाई न दे

ख़ुदा ऐसे इरफ़ान का नाम है

रहे सामने और दिखाई न दे

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.