Hindi Poem of Bashir Badra “ Koi na jaan saka vo kaha se aaya tha”,”कोई न जान सका वो कहाँ से आया था” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कोई न जान सका वो कहाँ से आया था

 Koi na jaan saka vo kaha se aaya tha

कोई न जान सका वो कहाँ से आया था

और उसने धुप से बादल को क्यों मिलाया था

यह बात लोगों को शायद पसंद आयी नहीं

मकान छोटा था लेकिन बहुत सजाया था

वो अब वहाँ हैं जहाँ रास्ते नहीं जाते

मैं जिसके साथ यहाँ पिछले साल आया था

सुना है उस पे  चहकने लगे परिंदे भी

वो एक पौधा जो हमने कभी लगाया था

चिराग़ डूब गए कपकपाये होंठों पर

किसी का हाथ हमारे लबों तक आया था

तमाम उम्र मेरा दम इसी धुएं में घुटा

वो एक चिराग़ था मैंने उसे बुझाया था

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