Hindi Poem of Bashir Badra “Me bhi shayad bura nahi hota”,”मैं भी शायद बुरा नहीं होता” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मैं भी शायद बुरा नहीं होता

Me bhi shayad bura nahi hota 

कोई काँटा चुभा नहीं होता

दिल अगर फूल सा नहीं होता

मैं भी शायद बुरा नहीं होता

वो अगर बेवफ़ा नहीं होता

बेवफ़ा बेवफ़ा नहीं होता

ख़त्म ये फ़ासला नहीं होता

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी

यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता

जी बहुत चाहता है सच बोलें

क्या करें हौसला नहीं होता

रात का इंतज़ार कौन करे

आज-कल दिन में क्या नहीं होता

गुफ़्तगू उन से रोज़ होती है

मुद्दतों सामना नहीं होता

 

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