Hindi Poem of Bashir Badra “Mujhse bichad ke khush rahte ho”,”मुझसे बिछड़ के ख़ुश रहते हो” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मुझसे बिछड़ के ख़ुश रहते हो

 Mujhse bichad ke khush rahte ho

मुझसे बिछड़ के ख़ुश रहते हो

मेरी तरह तुम भी झूठे हो

इक टहनी पर चाँद टिका था

मैं ये समझा तुम बैठे हो

उजले-उजले फूल खिले थे

बिल्कुल जैसे तुम हँसते हो

मुझ को शाम बता देती है

तुम कैसे कपड़े पहने हो

तुम तन्हा दुनिया से लड़ोगे

बच्चों सी बातें करते हो

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