सर से चादर बदन से क़बा ले गई
Sar se chadar badan se kaba le gai
सर से चादर बदन से क़बा ले गई
ज़िन्दगी हम फ़क़ीरों से क्या ले गई
मेरी मुठ्ठी में सूखे हुये फूल हैं
ख़ुशबुओं को उड़ा कर हवा ले गई
मैं समुंदर के सीने में चट्टान था
रात एक मौज आई बहा ले गई
हम जो काग़ज़ थे अश्कों से भीगे हुये
क्यों चिराग़ों की लौ तक हवा ले गई
चाँद ने रात मुझको जगा कर कहा
एक लड़की तुम्हारा पता ले गई
मेरी शोहरत सियासत से महफ़ूस है
ये तवायफ़ भी इस्मत बचा ले गई