Hindi Poem of Bashir Badra “Subaha ka jharna”,”सुबह का झरना” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सुबह का झरना

Subaha ka jharna

सुबह का झरना, हमेशा हंसने वाली औरतें

झूटपुटे की नदियां, ख़मोश गहरी औरतें

सड़कों बाज़ारों मकानों दफ्तरों में रात दिन

लाल पीली सब्ज़ नीली, जलती बुझती औरतें

शहर में एक बाग़ है और बाग़ में तालाब है

तैरती हैं उसमें सातों रंग वाली औरतें

सैकड़ों ऎसी दुकानें हैं जहाँ मिल जायेंगी

धात की, पत्थर की, शीशे की, रबर की औरतें

इनके अन्दर पक रहा है वक़्त का आतिश-फिशान

किं पहाड़ों को ढके हैं बर्फ़ जैसी औरतें

 

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