Hindi Poem of Bashir Badra “ Vo Gazal valo ka uslub samajhte honge”,”वो ग़ज़ल वालों का उस्लूब समझते होंगे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

वो ग़ज़ल वालों का उस्लूब समझते होंगे

 Vo Gazal valo ka uslub samajhte honge

वो ग़ज़ल वालों का उस्लूब[1] समझते होंगे

चाँद कहते हैं किसे ख़ूब समझते होंगे

इतनी मिलती है मेरी ग़ज़लों से सूरत तेरी

लोग तुझको मेरा महबूब समझते होंगे

मैं समझता था मुहब्बत की ज़बाँ ख़ुश्बू है

फूल से लोग इसे ख़ूब समझते होंगे

भूल कर अपना ज़माना ये ज़माने वाले

आज के प्यार को मायूब[2] समझते होंगे

 

 

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