Hindi Poem of Bashir Badra “ Vo ghar bhi koi ghar he jaha bachiya na ho” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

वो घर भी कोई घर है जहाँ बच्चियाँ न हों

 Vo ghar bhi koi ghar he jaha bachiya na ho

वो शाख़ है न फूल, अगर तितलियाँ न हों

वो घर भी कोई घर है जहाँ बच्चियाँ न हों

पलकों से आँसुओं की महक आनी चाहिए

ख़ाली है आसमान अगर बदलियाँ न हों

दुश्मन को भी ख़ुदा कभी ऐसा मकाँ न दे

ताज़ा हवा की जिसमें कहीं खिड़कियाँ न हों

मै पूछता हूँ मेरी गली में वो आए क्यों

जिस डाकिए के पास तेरी चिट्ठियाँ न हों

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