Hindi Poem of Bashir Badra “Vo mahakti palako ki Oat”,”वो महकती पलकों की ओट” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

वो महकती पलकों की ओट

 Vo mahakti palako ki Oat

वो महकती पलकों की ओट से कोई तारा चमका था रात में

मेरी बंद मुठ्ठी ना खोलिये वही कोहीनूर था हाथ में

मैं तमाम तारे उठा-उठा कर ग़रीबों में बाँट दूँ

कभी एक रात वो आसमाँ का निज़ाम[1] दे मेरे हाथ में

अभी शाम तक मेरे बाग़ में कहीं कोई फूल खिला न था

मुझे खुशबुओं में बसा गया तेरा प्यार एक ही रात में

तेरे साथ इतने बहुत से दिन तो पलक झपकते गुज़र गये

हुई शाम खेल ही खेल में गई रात बात ही बात में

कभी सात रंगों का फूल हूँ, कभी धूप हूँ, कभी धूल हूँ

मैं तमाम कपडे बदल चुका तेरे मौसमों की बरात में

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