Hindi Poem of Bashir Badra “Ye Chandani bhi jin ko chute hue darte he”,”ये चांदनी भी जिन को छूते हुए डरती है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

ये चांदनी भी जिन को छूते हुए डरती है

 Ye Chandani bhi jin ko chute hue darte he

ये चाँदनी भी जिन को छूते हुए डरती है

दुनिया उन्हीं फूलों को पैरों से मसलती है

शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है

जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है

लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख दे

यूँ याद तेरी शब भर सीने में सुलगती है

आ जाता है ख़ुद खींच कर दिल सीने से पटरी पर

जब रात की सरहद से इक रेल गुज़रती है

आँसू कभी पलकों पर ता देर नहीं रुकते

उड़ जाते हैं ये पंछी जब शाख़ लचकती है

ख़ुश रंग परिंदों के लौट आने के दिन आये

बिछड़े हुए मिलते हैं जब बर्फ़ पिघलती है

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