Hindi Poem of Bekal Utsahi “ Sunahari sarzami meri, rupahla aasma mera” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सुनहरी सरज़मीं मेरी, रुपहला आसमाँ मेरा

 Sunahari sarzami meri, rupahla aasma mera

सुनहरी सरज़मीं मेरी, रुपहला आसमाँ मेरा

मगर अब तक नहीं समझा, ठिकाना है कहाँ मेरा

किसी बस्ती को जब जलते हुए देखा तो ये सोचा

मैं ख़ुद ही जल रहा हूँ और फैला है धुआँ मेरा

सुकूँ पाएँ चमन वाले हर इक घर रोशनी पहुँचे

मुझे अच्छा लगेगा तुम जला दो आशियाँ मेरा

बचाकर रख उसे मंज़िल से पहले रूठने वाले

तुझे रस्ता दिखाएगा गुबारे-कारवाँ मेरा

पड़ेगा वक़्त जब मेरी दुआएँ काम आएंगी

अभी कुछ तल्ख़ लगता है ये अन्दाज़-ए-बयाँ मेरा

कहीं बारूद फूलों में, कहीं शोले शिगूफ़ों में

ख़ुदा महफ़ूज़ रक्खे, है यही जन्नत निशाँ मेरा

मैं जब लौटा तो कोई और ही आबाद था “बेकल”

मैं इक रमता हुआ जोगी, नहीं कोई मकाँ मेरा

 

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