Hindi Poem of Bhagwati Charan Verma “  Aaj manav ka“ , “आज मानव का” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आज मानव का

 Aaj manav ka

 

आज मानव का सुनहला प्रात है,

आज विस्मृत का मृदुल आघात है;

आज अलसित और मादकता-भरे,

सुखद सपनों से शिथिल यह गात है;

मानिनी हँसकर हृदय को खोल दो,

आज तो तुम प्यार से कुछ बोल दो ।

आज सौरभ में भरा उच्छ्‌वास है,

आज कम्पित-भ्रमित-सा बातास है;

आज शतदल पर मुदित सा झूलता,

कर रहा अठखेलियाँ हिमहास है;

लाज की सीमा प्रिये, तुम तोड़ दो

आज मिल लो, मान करना छोड़ दो ।

आज मधुकर कर रहा मधुपान है,

आज कलिका दे रही रसदान है;

आज बौरों पर विकल बौरी हुई,

कोकिला करती प्रणय का गान है;

यह हृदय की भेंट है, स्वीकार हो

आज यौवन का सुमुखि, अभिसार हो ।

आज नयनों में भरा उत्साह है,

आज उर में एक पुलकित चाह है;

आज श्चासों में उमड़कर बह रहा,

प्रेम का स्वच्छन्द मुक्त प्रवाह है;

डूब जायें देवि, हम-तुम एक हो

आज मनसिज का प्रथम अभिषेक हो ।

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.