Hindi Poem of Bhagwati Charan Verma’“Agyat Desh se aana , “अज्ञात देश से आना ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

अज्ञात देश से आना -भगवतीचरण वर्मा

Agyat Desh se aana -Bhagwati Charan Verma

मैं कब से ढूँढ़ रहा हूँ

 अपने प्रकाश की रेखा

 तम के तट पर अंकित है

 निःसीम नियति का लेखा

 देने वाले को अब तक

 मैं देख नहीं पाया हूँ,

पर पल भर सुख भी देखा

 फिर पल भर दुख भी देखा।

 किस का आलोक गगन से

 रवि शशि उडुगन बिखराते?

किस अंधकार को लेकर

 काले बादल घिर आते?

उस चित्रकार को अब तक

 मैं देख नहीं पाया हूँ,

पर देखा है चित्रों को

 बन-बनकर मिट-मिट जाते।

 फिर उठना, फिर गिर पड़ना

 आशा है, वहीं निराशा

 क्या आदि-अन्त संसृति का

 अभिलाषा ही अभिलाषा?

अज्ञात देश से आना,

अज्ञात देश को जाना,

अज्ञात अरे क्या इतनी

 है हम सब की परिभाषा?

पल-भर परिचित वन-उपवन,

परिचित है जग का प्रति कन,

फिर पल में वहीं अपरिचित

 हम-तुम, सुख-सुषमा, जीवन।

 है क्या रहस्य बनने में?

है कौन सत्य मिटने में?

मेरे प्रकाश दिखला दो

 मेरा भूला अपनापन।

 

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