मिलन
Milan
छलक कर आई न पलकों पर विगत पहचान
मुस्करा पाया न होठों पर प्रणय का गान;
ज्यों जुड़ी आँखें, मुड़ी तुम, चल पड़ा मैं मूक
इस मिलन से और भी पीड़ित हुए ये प्राण।
मिलन
Milan
छलक कर आई न पलकों पर विगत पहचान
मुस्करा पाया न होठों पर प्रणय का गान;
ज्यों जुड़ी आँखें, मुड़ी तुम, चल पड़ा मैं मूक
इस मिलन से और भी पीड़ित हुए ये प्राण।