तुक की व्यर्थता
Tuk ki Vyarthta
दर्द दिया तुमने बिन माँगे, अब क्या माँगू और?
मन के मीत! गीत की लय, लो, टूट गई इस ठौर
गान अधूरा रहे भटकता परिणति को बेचैन
केवल तुक लेकर क्या होगा: गौर, बौर, लाहौर?
तुक की व्यर्थता
Tuk ki Vyarthta
दर्द दिया तुमने बिन माँगे, अब क्या माँगू और?
मन के मीत! गीत की लय, लो, टूट गई इस ठौर
गान अधूरा रहे भटकता परिणति को बेचैन
केवल तुक लेकर क्या होगा: गौर, बौर, लाहौर?